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चंद्रपुर की गाथा //चंद्रहासिनी मैया की कहानी //चंद्रहासिनी मैया की स्थापित होने की रहस्य//

चंद्रपुर की गाथा //चंद्रहासिनी मैया की कहानी //चंद्रहासिनी मैया की स्थापित होने की रहस्य//

🙏🙏बोलो चंद्रसेनी आउ नाथल दाई की जय 🙏🙏


चंद्रपुर की कहानी गाथा :::-:::--::-:

सबसे पहले मां चंद्र सैनी के प्रथम रूप ला बतावत हव
मां चंद्र सैनी वन देवी के रूप में आए रहे वह डोंगरी गांव में रहे के  विचार करत रहय। चंद्रसेनी आऊ नाथाल दाई दोनों बहिनी अपन मन के विचार बातावत रहें कि हमन हा  संभलपुर के राजा के पास जाबो कहिके विचार कर डलिस।।
तब दोनों बहिनी संबलपुर के राजा के सपना अाके कहिस  डोंगरी गांव में आज के हमर मंदिर बनवा दे आऊ उहे हमर सेवा करबे।।
राजाजी डोंगरी गांव जाए बार निकाल दीश राजा हा एक-दो दिन बाद डूंगरी गांव पहुंच गे।।
तहाले जंगल मा राजा हा एक बरही देकिस राजा हा देखते रहिए। तब राजा ला बरही मा मां के रूप दिकिस ।
तहा ले राजा हा माईं के चरण मा गिर के काहिस कि तै तो जम्मो दुनिया के  रखिया मैं अज्ञानी तोर का सेवा ला   कर पहू मां।


तब माता कहिन ::+ 
सुन ले ग मोर बेटा मोर राजा मोर मंदिर बनवादे।।
जग में नाम तोर होहि उजियारा।।
फेर मां के चरण में गिर के केहिच मै हा तोर मंदिर बनवाथव मां।
माता के कहे मा राजा हा डोंगरी ऊपर मां चंद्रसेनी के मंदिर बनवाईस आऊ टिमर लगा के टिला मा मां नाथल दाई के मंदिर बनवाईस।।
मंदिर बनवा के एक दिन राजा हा आईश __ तब राजा हा मइया ला पुकरिस तब माता हा आइश आऊ माता के दर्शन पाक
 राजा के अासु आगे तब माता प्रसन्ना हो गे तब राजा ला आशीर्वाद देईस आऊ वरदान पाईश ।।
मां राजा ला वरदान देईस आऊ कहीस मोर नाम  
अक्षर ले रख बे त उही दिन ले डोंगरी गांव के नाम ला चंद्रपुर रखिस आऊ माता के नाम चंद्रसैनी कहिश।।।
चंद्रहासिनी मंदिर


माता के सेवक लसरा बईगा     
लसरा बाईगा ह नदिया भितर ले सुखका ककरा निकालिश आज भी लसरा बइगा के पीढ़ी मन मां के सेवक हवे।।
सन् 1935 मा चंद्रपुर महानदी में घोर पूरा आए रहय। 
महानदी मा  घोर    बाड़ रहे नदी के पानी काकरो ले नई थम। पाईस तब माता हां अपन चरण ल महानदी ल छूवाईस । एथी   बार राजा चंंद्रहास पूरा
परिवार के साथ नदी के पूरा रोक बर  आयस
पूरा रोक बर राजा ह करिया बोकरा डिलिस 
तब माता के चरण में पूरा ह पहुंच ग रहाय तहां ल
माता ह भक ल बकरा मुड़ी ला देखिश।।
तहा ले माता हा पथरा में अपन चरण ला छोड़ के चल दिस ऊही दिन ले लोग- बाग मन बकरा देहे लागीन।।
नाथल दाई के मंदिर
निर्दई बाप 
एक दिन आधियारी रात म पुलिस वाला ह अपन लईका
ला नदिया मा फेके के विचार करत राहत नान कुन लाईका के मया नई लागिश निर्दली बाप ला।।
पुलिस वाला मने मन मा लाइका ला नदिया मा फेके के विचार कर डलिश ।।
ताहा ले दोनों माता मन ओला देकिश
  लाइका ला कहे निर्दली बाप हा तोला दर्शन कराए बर ल जाथव 
फेरान पुलिस वाला हा नदिया के पूल के बीच मा जाके लाइका ला नदी मा फेके दिश। लाइका हा रोए लगीस लाइका के रोना सुन के दोनों मइया नदी मा आके अपन एचरा मा जोकिश।।
आऊ मचिया मेगनु ला सपना देके बलाईश मेगनू हा डोंगा धर के आगे चुल्ह नागर पथर
 में लाइका ला डेखिश मेघनु हा आऊ अपन घर ले गे
अइसे गाथा कहानी हे माता चंद्रसेनी आऊ नाथल दाई के 
🙏🙏जय मां नाथल दाई जय मां चंद्रशैनी दाई 🙏🙏🙏

 



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